मन की हल्दीघाटी में, राणा के भाले डोले हैं, यूँ लगता है चीख चीख कर, वीर शिवाजी बोले हैं, पुरखों का बलिदान, घास की, रोटी भी शर्मिंदा है, कटी जंग में सांगा की, बोटी बोटी शर्मिंदा है, खुद अपनी पहचान मिटा दी, कायर भूखे पेटों ने, टोपी जालीदार पहन ली, हिंदुओं के बेटों ने, सिर पर लानत वाली छत से, खुला ठिकाना अच्छा था, टोपी गोल पहनने से तो, फिर मर जाना अच्छा था, मथुरा अवधपुरी घायल है, काशी घिरी कराहों से, यदुकुल गठबंधन कर बैठा, कातिल नादिरशाहों से, कुछ वोटों की खातिर लज्जा, आई नही निठल्लों को, कड़ा-कलावा और जनेऊ, बेंच दिया कठमुल्लों को, मुख से आह तलक न निकली, धर्म ध्वजा के फटने पर, कब तुमने आंसू छलकाए, गौ माता के कटने पर, लगता है पूरी आज़म की, मन्नत होने वाली है, हर हिन्दू की इस भारत में, सुन्नत होने वाली है, जागे नही अगर हम तो ये, प्रश्न पीढियां पूछेंगी, गन पकडे बेटे, बुर्के से, लदी बेटियाँ पूछेंगी, बोलेंगी हे आर्यपुत्र, अंतिम उद्धार किया होता, खतना करवाने से पहले हमको मार दिया होता सोते रहो सनातन वालों, तुम सत्ता की गोदी में, ...
जय श्री कृष्ण
ReplyDeletejai shri krisna .arthat krishna hi iswar hain, fhir shiv puran,bramha puran aadi kya jhut bol rahe hai, spast kare blogger
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