पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है...!
पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है...! आजकल हवा के लिए रोशनदान कौन रखता है...!! अपने घर की कलह से फुरसत मिले तो सुने…! आजकल पराई दीवार पर कान कौन रखता है...!! खुद ही पंख लगाकर उड़ा देते हैं चिड़ियों को..! आज कल परिंदों मे जान कौन रखता है..!! हर चीज मुहैया है मेरे शहर में किश्तों पर..! आज कल हसरतों पर लगाम कौन रखता है..!! बहलाकर छोड़ आते है वृद्धाश्रम में मां_बाप को..! आज कल घर में पुराना सामान कौन रखता है…!! सबको दिखता है दूसरों में इक बेईमान इंसान…! खुद के भीतर मगर अब ईमान कौन रखता है…!! फिजूल बातों पे सभी करते हैं वाह-वाह..! अच्छी बातों के लिये अब जुबान कौन रखता है ( राहत इन्दौरी)
जय श्री कृष्ण
ReplyDeletejai shri krisna .arthat krishna hi iswar hain, fhir shiv puran,bramha puran aadi kya jhut bol rahe hai, spast kare blogger
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