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महेंद्र सिंह धोनी: भारतीय क्रिकेट के महान सिपाही

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महेंद्र सिंह धोनी: भारतीय क्रिकेट के महान सिपाही महेंद्र सिंह धोनी, जिन्हें प्यार से 'मस्तर ब्लास्टर' भी कहा जाता है, भारतीय क्रिकेट के सबसे प्रमुख और प्रेरणास्त्रोत हैं। उनकी कहानी एक साधारण छात्र से लेकर भारतीय क्रिकेट की दुनिया में एक महान नेता तक की है। उनके खेली गई पारियों ने हम सभी को गर्व महसूस कराया है और उन्हें एक सशक्त और प्रेरित कप्तान के रूप में याद किया जाएगा। महेंद्र सिंह धोनी का जन्म ७ जुलाई, १९८१ को झारखंड राज्य के नगर निगम क्षेत्र में हुआ था। उनका बचपन से ही क्रिकेट में दिलचस्पी था, और वे बचपन से ही मैदान में अपनी कड़ी मेहनत करने में जुटे रहे हैं। उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिबद्धता के साथ ही अपने दर्शकों के दिलों में जगह बनाई और उन्हें एक क्रिकेट सिपाही के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। धोनी की पहचान उनके कैप्टनी के दौरान बड़ी मात्रा में हुई। उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम को २००७ और २०११ के वनडे विश्वकप में प्रमुख सिरे से जिताया। उनकी कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने पहली बार T20 विश्वकप भी जीता और उन्होंने भारतीय क्रिकेट को नए उचाईयों तक पहुँचाया। धोनी के लीड...

फेसबुक की प्रतिक्रियाएँ और प्रभाव

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फेसबुक की प्रतिक्रियाएँ और प्रभाव फेसबुक सोशल मीडिया की दुनिया में एक बहुत बड़ी और प्रभावशाली प्लेटफ़ूर्म है, जिसमें लाखों लोग दिनभर अपने विचार, तस्वीरें, वीडियो और जीवन की घटनाओं को साझा करते हैं। हालांकि, इसके साथ ही कई प्रकार के प्रभाव भी हैं, जिनमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों शामिल हैं। इस लेख में, हम फेसबुक के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों की ओर एक नजर डालेंगे। फेसबुक के सकारात्मक प्रभाव: संवाद का माध्यम: फेसबुक लोगों को अपने परिवार, मित्रों और दूसरों के साथ जुड़ने का एक बहुत अच्छा माध्यम प्रदान करता है। यह लोगों को विभिन्न भागों में बांटता है और उनके बीच संवाद को बढ़ावा देता है। व्यक्तिगत नेटवर्क: फेसबुक के माध्यम से लोग अपने व्यक्तिगत नेटवर्क को बढ़ा सकते हैं, जिससे वे अपने करियर में और सामाजिक जीवन में भी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा और जागरूकता: फेसबुक पर विभिन्न विषयों पर जागरूकता फैलाई जा सकती है और लोग नई जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। व्यवसाय के लिए माध्यम: व्यवसायियों के लिए फेसबुक अपने उत्पादों और सेवाओं की प्रचार करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हो सकता है। फेसबु...

Vestige Traning by Great Vestige Leader

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गौ-पीयूष (Cow-Colostrum) : गौ माता का मनुष्य को वरदान

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गौ-पीयूष (Cow-Colostrum) : गौ माता का मनुष्य को वरदान गौ माता से हम मानवों को एक विशेष पदार्थ उपहार स्वरूप मिलता है - गौ-पीयूष (Cow-Colostrum) एक  गाय प्रसूत होने के उपरान्त एवं दूध स्त्रवण से पहले 72 घंटों में जो पीला, गाढ़ा द्रव्य पदार्थ स्त्रावित होता है, उसे ही गौ-पीयूष (Cow-Colostrum) या स्थानीय भाषा में खीस कहतें हैं. गौ पीयूष की मात्रा लगभग 36 लीटर होती है. मानवों में पीयूष स्त्रवण मात्र दो दिन तक ही होता है और उसकी मात्रा अत्यल्प होती है. पीयूष गाढ़ा, दिखने में पीला तथा हाथ से छूने में अत्यधिक चिकना होता है. 1. Immunoglobins: शरीर पर कीटाणुओं का मजबूती से सामना करतें हैं. 2. Lactoferrin: ये शरीर में लौह तत्त्व को मजबूत करतें हैं, सूजन कम करतें हैं. 3. Proline Rich Polypeptide (PRP): PRP गौ-पीयूष में पाया जाने वाला सबसे लाभकारी तत्त्व है, यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्ति को बढाता है, शरीर में एंटीबाडीज / एंटीजन की कोशिकाओं में बढोतरी करता है ये  एंटीबाडीज कीटाणुओं और कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करते हैं, HIV से ग्रसित मरीजो में CD4 कोशिकाओं की बढोतरी करता है. 4...

भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंध अकेले मोदी की वजह से ही सुधर रहे हैं?

पत्नी ने पति से पूछा- आप फेसबुक पर विदेशी लड़कियों से चैटिंग क्यों करते रहते हो ? पति ने कहा- तुमको क्या लगता है कि भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंध अकेले मोदी की वजह से ही सुधर रहे हैं? 😉😉😉😉😉😉😉😉😉😉😉 😉😉😉😉😉😉😉😉😉😉😉

पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है...!

पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है...! आजकल हवा के लिए रोशनदान कौन रखता है...!! अपने घर की कलह से फुरसत मिले तो सुने…! आजकल पराई दीवार पर कान कौन रखता है...!! खुद ही पंख लगाकर उड़ा देते हैं चिड़ियों को..! आज कल परिंदों मे जान कौन रखता है..!! हर चीज मुहैया है मेरे शहर में किश्तों पर..! आज कल हसरतों पर लगाम कौन रखता है..!! बहलाकर छोड़ आते है वृद्धाश्रम में मां_बाप को..! आज कल घर में पुराना सामान कौन रखता है…!! सबको दिखता है दूसरों में इक बेईमान इंसान…! खुद के भीतर मगर अब ईमान कौन रखता है…!! फिजूल बातों पे सभी करते हैं वाह-वाह..! अच्छी बातों के लिये अब जुबान कौन रखता है                                               ( राहत इन्दौरी)

शीश कलम करवा लूँगा पर, कलमा नही पढूंगा मैं|

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मन की हल्दीघाटी में, राणा के भाले डोले हैं, यूँ लगता है चीख चीख कर, वीर शिवाजी बोले हैं, पुरखों का बलिदान, घास की, रोटी भी शर्मिंदा है, कटी जंग में सांगा की, बोटी बोटी शर्मिंदा है, खुद अपनी पहचान मिटा दी, कायर भूखे पेटों ने, टोपी जालीदार पहन ली, हिंदुओं के बेटों ने, सिर पर लानत वाली छत से, खुला ठिकाना अच्छा था, टोपी गोल पहनने से तो, फिर मर जाना अच्छा था, मथुरा अवधपुरी घायल है, काशी घिरी कराहों से, यदुकुल गठबंधन कर बैठा, कातिल नादिरशाहों से, कुछ वोटों की खातिर लज्जा, आई नही निठल्लों को, कड़ा-कलावा और जनेऊ, बेंच दिया कठमुल्लों को, मुख से आह तलक न निकली, धर्म ध्वजा के फटने पर, कब तुमने आंसू छलकाए, गौ माता के कटने पर, लगता है पूरी आज़म की, मन्नत होने वाली है, हर हिन्दू की इस भारत में, सुन्नत होने वाली है, जागे नही अगर हम तो ये, प्रश्न पीढियां पूछेंगी, गन पकडे बेटे, बुर्के से, लदी बेटियाँ पूछेंगी, बोलेंगी हे आर्यपुत्र, अंतिम उद्धार किया होता, खतना करवाने से पहले हमको मार दिया होता सोते रहो सनातन वालों, तुम सत्ता की गोदी में,  ...